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Sunday, August 16, 2020

पहला बुनियादी सवाल : आजकल समय की इतनी कमी क्यों महसूस होती है ?




क्या ' आपने कभी सोचा है कि आजकल हमें समय की इतनी कमी क्यों महसूस होती है ? समय पर काम न करने या होने पर हम झल्ला जाते हैं , आगबबूला हो जाते हैं , चिढ़ जाते हैं , तनाव में आ जाते हैं । समय की कमी के चलते हम लगभग हर पल जल्दबाज़ी और हड़बड़ी में रहते हैं । इस चक्कर में हमारा ब्लड प्रेशर बढ़ जाता है , लोगों से हमारे संबंध खराब हो जाते हैं , हमारा मानसिक संतुलन गड़बड़ा जाता है और कई बार तो दुर्घटनाएँ भी हो जाती हैं । समय की कमी हमारे जीवन का एक अप्रिय और अनिवार्य हिस्सा बन चुकी है ।

       क्या आपने कभी यह बात सोची है : हमारे पूर्वजों को कभी टाइम मैनेजमेंट की ज़रूरत नहीं पड़ी , तो फिर हमें क्यों पड़ रही है ? क्या हमारे पूर्वजों को दिन में 48 घंटे मिलते थे और हमें केवल 24 घंटे ही मिल रहे हैं ? आप भी जानते हैं और मैं भी जानता हूँ कि ऐसा नहीं है ! हर पीढ़ी को एक दिन में 24 घंटे का समय ही मिला है । लेकिन बीसवीं सदी की शुरुआत से हमारे जीवन में समय कम पड़ने लगा है और यह समस्या दिनोदिन बढ़ती ही जा रही है । बड़ी अजीब बात है , क्योंकि बीसवीं सदी की शुरुआत से ही मनुष्य समय बचाने वाले नए - नए उपकरण बनाता जा रहा है । 
बीसवीं सदी से पहले कार नहीं थी , मोटर साइकल या स्कूटर भी नहीं थे , लेकिन हमारे पूर्वजों को कहीं पहुँचने की जल्दी भी नहीं थी । पहले मिक्सर , फूड प्रोसेसर या माइक्रोवेव नहीं थे , लेकिन गृहिणियाँ सिल पर मसाला पीसने या चूल्हे पर खाना पकाने में किसी तरह की हड़बड़ी नहीं दिखाती थीं । पहले बिजली नहीं थी , लेकिन किसी को रात - रात भर जागकर काम करने की ज़रूरत भी नहीं थी । वास्तव में तब जीवन ज़्यादा सरल था , क्योंकि उस समय इंसान की ज़िंदगी घड़ी के हिसाब से नहीं चलती थी । औद्योगिक युग के बाद फैक्ट्री , ऑफ़िस और नौकरी का जो दौर शुरू हुआ , उसने मनुष्य को घड़ी का गुलाम बनाकर रख दिया ।

 
पहले जीवन सरल था और अब जटिल हो चुका है : यही हमारी समस्या का मूल कारण है । पहले जीवन की रफ्तार धीमी थी , लेकिन अब तेज़ हो चुकी है । अब हमारे जीवन में इंटरनेट आ गया है , जो पलक झपकते ही हमें दुनिया से जोड़ देता है । अब हमारे जीवन में टी.वी. आ चुका है , जिसका बटन दबाते ही हम दुनिया की ख़बरें जान लेते हैं । अब हमारे पास कारें और हवाई जहाज़ हैं , जिनसे हम तेज़ी से कहीं भी पहुँच सकते हैं । अब हमारे पास थ्री - जी मोबाइल्स हैं , जिनसे हम दुनिया में कहीं भी , किसी से भी बात कर सकते हैं और उसे देख भी सकते हैं । आधुनिक आविष्कारों ने हमारे जीवन की गति बढ़ा दी है । शायद आधुनिक आविष्कार ही हमारे जीवन में समय की कमी का सबसे बड़ा कारण हैं । इनकी बदौलत हम दुनिया से तो जुड़ गए हैं , लेकिन शायद खुद से दूर हो गए हैं ।
 यदि आप समय के सर्वश्रेष्ठ उपयोग को लेकर गंभीर हैं , तो इसका सबसे सीधा समाधान यह है : यदि आप किसी तरह आधुनिक आविष्कारों से मुक्ति पा लें और दोबारा पुराने ज़माने की जीवनशैली अपना लें , तो आपको काफ़ी सुविधा होगी । नहीं , नहीं ... मैं यहाँ चूल्हे पर रोटी पकाने या मुंबई से दिल्ली तक पैदल जाने की बात नहीं कर रहा हूँ । मैं तो केवल यह कहना चाहता हूँ कि मोबाइल , टी.वी. , इंटरनेट , चैटिंग आदि समय बर्बाद करने वाले आविष्कारों का इस्तेमाल कम कर दें । 
पहले घड़ी हमारे जीवन पर हावी नहीं हुई थी और इसका सीधा सा कारण यह था कि ज़्यादातर लोगों के पास घड़ी थी ही नहीं । पहले अलार्म घड़ी की कोई ज़रूरत नहीं थी ; मुर्गे की बाँग ही काफ़ी थी । तब 8:18 की लोकल पकड़ने का कोई तनाव नहीं रहता था । तब कोई काम सुबह नौ बजे हो या सवा नौ बजे , कोई ख़ास फर्क नहीं पड़ता था ... लेकिन आज पड़ता है ।


तो इस पुस्तक को आगे पढ़ने से पहले यह बात अच्छी तरह से समझ लें कि डाइबिटीज़ , हाई ब्लड प्रेशर , कोलेस्ट्रॉल और हृदय रोग की तरह ही समय की कमी भी एक आधुनिक समस्या है , जो आधुनिक जीवनशैली का परिणाम है । यदि आप इस समस्या को सुलझाना चाहते हैं , तो आपको अपनी जीवनशैली को बदलना होगा । याद रखें , दुनिया नहीं बदलेगी ; बदलना तो आपको ही है । यदि आप अपनी जीवनशैली और सोच को बदल लेंगे , तो समय का समीकरण भी बदल जाएगा । जैसा अल्बर्ट आइंस्टाइन ने कहा था , ' हम जिन महत्वपूर्ण समस्याओं का सामना करते हैं , उन्हें सोच के उसी स्तर पर नहीं सुलझाया जा सकता , जिस पर हमने उन्हें उत्पन्न किया था ।
 अब गेंद आपके पाले में है ! अपनी सोच बदलें , जीवनशैली बदलें और समय का उचित प्रबंधन करके अपना जीवन बदल लें । इस संदर्भ में आधुनिक प्रबंधन के पितामह पीटर एफ़ . ड्रकर की बात याद रखें , ' जब तक हम समय का प्रबंधन नहीं कर सकते , तब तक हम किसी भी चीज़ का प्रबंधन नहीं कर सकते 




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