भारतीय राजव्यवस्था
12. राज्य विधायिका
विधानपरिषद्
• विधानपरिषद् , राज्य विधानमण्डल का उच्च सदन होता है । वर्तमान में केवल छः राज्यों ( उत्तर प्रदेश , कर्नाटक , जम्मू एवं कश्मीर , महाराष्ट्र , बिहार तथा आन्ध्र प्रदेश ) में विधानपरिषदें विद्यमान हैं ।
• विधानपरिषद् का सदस्य बनने के लिए न्यूनतम आयु - सीमा 30 वर्ष है ।
• विधानपरिषद् के प्रत्येक सदस्य का कार्यकाल 6 वर्ष होता है , किन्तु प्रति दूसरे वर्ष एक - तिहाई सदस्य अवकाश ग्रहण करते है तथा उनके स्थान पर नवीन सदस्य निर्वाचित होते हैं । विधानपरिषद् अपने सदस्यों में से दो को क्रमशः सभापति एवं उपसभापति चुनती है ।
विधानसभा
• विधानसभा में निर्वाचित होने के लिए न्यूनतम आयु - सीमा 25 वर्ष है ।
• प्रत्येक राज्य की विधानसभा में कम - से - कम 60 और अधिक - से - अधिक 500 सदस्य होते हैं । अपवाद अरुणाचल प्रदेश ( 40 ) , गोवा ( 40 ) , मिजोरम ( 40 ) , सिक्किम ( 32 ) । विधानसभा के सदस्यों का चुनाव वयस्क मताधिकार प्रणाली द्वारा होता है ।
केन्द्र - राज्य सम्बन्ध
भारत में केन्द्र - राज्य सम्बन्ध संघवाद की ओर उन्मुख है और संघवाद की इस प्रणाली को कनाडा के संविधान से लिया गया है । भारतीय संविधान की सातवीं अनुसूची में केन्द्र एवं राज्य की शक्तियों के बँटवारे से सम्बन्धित तीन सूचियाँ दी गई हैं- ( i ) संघ सूची , ( ii ) राज्य सूची और ( iii ) समवर्ती सूची ।
केन्द्र - राज्य सम्बन्धों पर सरकारिया आयोग
का गठन - जून , 1983 में किया गया , इसने अपनी रिपोर्ट जनवरी , 1988 में सौंपी । एम एम पुंछी आयोग का गठन अप्रैल , 2007 में किया गया , जिसने 2010 में अपनी रिपोर्ट सौंपी । |
अन्तर्राज्यीय परिषद्
अन्तर्राज्यीय परिषद् संघटन
क्षेत्रीय परिषद्
क्र.सं. |
परिषद् |
मुख्यालय |
सम्मिलित राज्य क्षेत्र |
1. |
उत्तरी क्षेत्रीय परिषद् |
नई दिल्ली |
दिल्ली, पंजाब , हरियाणा , हिमाचल प्रदेश , राजस्थान , , चण्डीगढ़ तथा जम्मू - कश्मीर |
2. |
दक्षिणी क्षेत्रीय परिषद् |
चेन्नई |
केरल , तमिलनाडु , परिषद् कर्नाटक , आन्ध्र प्रदेश तथा पुदुचेरी |
3. |
पूर्वी क्षेत्रीय परिषद् |
कोलकाता |
बिहार , ओडिशा , परिषद् पश्चिम बंग तथा झारखण्ड |
4. |
पश्चिमी क्षेत्रीय परिषद् |
मुम्बई |
महाराष्ट्र , गोवा , परिषद् गुजरात दमन और दीव तथा दादर एवं नागर हवेली |
5. |
मध्यवर्ती क्षेत्रीय परिषद् |
इलाहाबाद |
उत्तर प्रदेश , मध्य परिषद् प्रदेश , उत्तराखण्ड तथा छत्तीसगढ़ |
नीति आयोग
इसमें सभी राज्यों के मुख्यमन्त्री तथा केन्द्रशासित प्रदेशों के उप - राज्यपाल / प्रशासकों को सदस्यता दी गई है । यह आयोग ' राष्ट्रीय विकास का एजेण्डा ' तैयार करेगा ।
नीति आयोग , जन केन्द्रित , सक्रिय तथा सहभागी विकास एजेण्डा के सिद्धान्त पर आधारित संस्था होगी , जिसमें सहकारी संघवाद को अत्यधिक महत्त्व दिया गया है ।
नीति आयोग का स्वरूप नीति आयोग की अध्यक्षता प्रधानमन्त्री करेंगे , इसके अतिरिक्त एक उपाध्यक्ष की नियुक्ति का प्रावधान किया गया है । अरविन्द पनगड़िया को इसका प्रथम उपाध्यक्ष नियुक्त किया गया है ।
इसकी संरचना निम्न प्रकार बनाई गई है
अध्यक्ष |
प्रधानमन्त्री |
गवर्निंग काउन्सिल |
सभी मुख्यमन्त्री , केन्द्र शासित प्रदेशों के राज्यपाल / प्रशासक |
विशेष आमन्त्रित सदस्य |
विभिन्न क्षेत्रों के विशेषज्ञ ( प्रधानमन्त्री द्वारा नामित ) |
उपाध्यक्ष |
प्रधानमन्त्री द्वारा नियुक्त किया जाएगा। |
पूर्णकालिक सदस्य |
इनकी संख्या पाँच होगी । |
अंशकालिक सदस्य |
दो पदेन सदस्य तथा विश्वविद्यालयों के शिक्षक क्रम के अनुसार |
पदेन सदस्य |
चार केन्द्रीय मन्त्री |
सीईओ |
केन्द्र के सचिव स्तर का अधिकारी , जिसे निश्चित कार्यकाल के लिए नियुक्त किया जाएगा । |
13. पंचायती राज
• पंचायती राज का उद्देश्य लोगों के संगठनों को वास्तविक शक्तियाँ सौंपकर लोकतन्त्र को ग्राम्य स्तर पर ले जाना है । इसका शुभारम्भ 2 अक्टूबर , 1959 को नागौर , राजस्थान से हुआ । बाद में इसे आन्ध्र प्रदेश में लागू किया गया ।
• अनुच्छेद 40 के अनुसार संवैधानिक व्यवस्थाओं को आकार प्रदान करने के लिए , बलवन्त राय मेहता समिति ने ग्रामीण स्तर पर सबल । लोकतान्त्रिक संस्थाओं के प्रवर्तन को प्रोत्साहित करने के लिए शक्तियों के लोकतान्त्रिक विकेन्द्रीकरण की सिफारिश की थी ।
• पंचायती राज का लक्ष्य लोगों को विकास और योजनाओं से जोड़ना है , ताकि अफसरशाही पर निर्भरता को कम किया जा सके ।
• अशोक मेहता समिति ने द्विस्तरीय पंचायती राज प्रणाली तथा एल एम सिंधवी समिति ने पंचायती राज को संवैधानिक दर्जा देने की सिफरिश की थी ।
ग्रामसभा
• यद्यपि यह पंचायती राज प्रणाली का कोई स्तर ( टीयर ) नहीं है फिर भी लोकतान्त्रिक विकेन्द्रीकरण को पूर्ण बनाने में इसकी निर्णायक भूमिका है ।
• यह एक सामान्य निकाय है , जिसके सभी मतदाता , ग्राम पंचायत के न्याय - क्षेत्र के भीतर ही निवास करते हैं।
ग्राम पंचायत
• ग्राम पंचायत , पंचायती राज का पहला स्तर है ।
• ग्राम सभा के सदस्यों द्वारा गुप्त मतदान करके ही सभी सदस्यों का चुनाव होता है ।
पंचायत समिति
• पंचायती राज में पंचायत समिति को मध्य स्तर कहा जाता है । इसे जनपद पंचायत . तालुका पंचायत और अंचल पंचायत आदि भी कहा जाता है ।
• इसमें शामिल हैं-------
• इस निकाय का अध्यक्ष एक गैर - सरकारी व्यक्ति होता है , जिसका चुनाव समिति के सदस्यों द्वारा होता है ।
जिला परिषद्
• पंचायती राज प्रणाली का सबसे ऊपर का स्तर जिला परिषद् द्वारा निर्मित है ।
• यह निचले स्तर पर ग्रामीण स्थानीय सरकारी निकायों के बीच एक कड़ी का काम करती है , जैसे - पंचायत समिति और राज्य विधानमण्डल व संसद ।
• एक जिलापरिषद में सामान्यतः जिले की पंचायत समितियों के अध्यक्ष शामिल होते हैं , जिले से सम्बन्धित सांसद और विधायक ।
• सहकारी समितियों के प्रतिनिधि ।
अनुसूचित जातियों , जनजातियों और कुछ सहयोजित सदस्यों के प्रतिनिधियों की एक विशेष संख्या । सामान्यतः परिषद के सदस्यों द्वारा ही इसके अध्यक्ष का चुनाव किया जाता है ।
• जिला विकास अधिकारी ही जिला परिषद् का मुख्य कार्यकारी अधिकारी या सचिव होता है और विभिन्न प्रशासनिक और विकास विभाग के जिला अधिकारी इसके मतदान में हिस्सा न लेने वाले सदस्य होते हैं ।
• कई राज्यों में जिला अधिकारी ( कलेक्टर ) भी एक मतदान न करने वाले सदस्य के रूप में परिषद् से सम्बद्ध होता है । ,
• जिला परिषद् का कार्यकाल 5 वर्ष है । ,
• ग्राम पंचायतों में महिलाओं के लिए 50 % सीटें आरक्षित हैं ।
निर्वाचन आयोग
( अनुच्छेद 324-329 )
• निर्वाचन आयोग का गठन मुख्य निर्वाचन आयुक्त एवं निर्वाचन आयुक्तों को मिलाकर किया जाता है , जिनकी नियुक्ति राष्ट्रपति के द्वारा की जाती है ।
• मुख्य चुनाव आयुक्त का कार्यकाल 6 वर्ष या 65 वर्ष की आयु , जो भी पहले हो तक होता है । अन्य चुनाव आयुक्तों का कार्यकाल 6 वर्ष या 62 वर्ष जो भी पहले हो तक रहता है ।
• प्रारम्भ में चुनाव आयोग एक सदस्यीय आयोग था , परन्तु अक्टूबर , 1993 में इसे तीन सदस्यीय आयोग बना दिया गया । वर्तमान में यह तीन सदस्यीय है ।
निर्वाचन आयोग के मुख्य कार्य निम्नलिखित हैं
• चुनाव क्षेत्रों का परिसीमन , मतदाता सूचियों को तैयार करवाना , विभिन्न राजनीतिक दलों को मान्यता प्रदान करना तथा उनके लिए आचार संहिता तैयार करवाना । राजनीतिक दलों को आरक्षित चुनाव चिह्न प्रदान करना तथा चुनाव करवाना ।
सुकुमार सेन देश के पहले मुख्य चुनाव आयुक्त थे । हरिशंकर ब्रह्मा वर्तमान में देश के मुख्य चुनाव आयुक्त हैं । |
वित्त आयोग
संघ लोक सेवा आयोग ( यूपीएससी )
राजभाषा
लोकपाल एवं लोकायुक्त
लोकपाल चयन समिति लोकपाल चयन समिति में 5 सदस्य होंगे , जिनकी अध्यक्षता प्रधानमन्त्री करेगा । इसके अतिरिक्त लोकसभाध्यक्ष , नेता प्रतिपक्ष , मुख्य न्यायाधीश अथवा उनके द्वारा नामित उच्चतम न्यायालय का कार्यरत न्यायाधीश सदस्य रूप में होंगे । लोकसभा चयन समिति के पहले 4 सदस्यों द्वारा की गई सिफारिशों के आधार पर भारत के राष्ट्रपति द्वारा नामित प्रख्यात विधिवेत्ता पाँचवाँ सदस्य होगा । |
सूचना का अधिकार अधिनियम , 2005
ई - शासन ( e - Governance )
उद्देश्य
उपयोगिता
समस्याएँ
इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीन ( EVM )
वीवीपीएटी के जरिए मतदाताओं को फीडबैक
नोटा ( NOTA ) का अधिकार
14. प्रमुख संविधान संशोधन
प्रथम ( 1951 ) |
राज्यों के भूमि सुधार कानूनों को नवीं अनुसूची में रखकर न्यायालयों के अधिकार क्षेत्र से बाहर कर दिया गया । |
सातवाँ ( 1956 ) |
भाषायी आधार पर राज्यों का पुनर्गठन किया गया । राज्यों एवं केन्द्रशासित प्रदेशों में उन्हें विभाजित किया गया । |
बारहवाँ ( 1962 ) |
पुर्तगाली आधिपत्य वाले केन्द्रशासित प्रदेश गोवा , दमन तथा दीव को भारत का अंग बना लिया गया । |
तेरहवाँ ( 1962 ) |
नागालैण्ड को भारत का नया राज्य घोषित किया गया , कुछ विशेष उपबन्ध के साथ । |
चौदहवाँ ( 1962 ) |
पुदुचेरी की भारत का अंग नाया गया । |
छब्बीसवाँ ( 1971 ) |
राजाओं की उपाधियाँ प्रिवीपर्स तथा विशेषाधिकार समाप्त । |
इकत्तीसवाँ ( 1973 ) |
लोकसभा की सदस्य संख्या 525 से बढ़ाकर 545 कर दी गई है । |
छत्तीसवाँ ( 1975 ) |
सिक्किम को पूर्ण राज्य का दर्जा दिया गया । |
उन्तालीसवाँ ( 1975 ) |
राष्ट्रपति , उपराष्ट्रपति , लोकसभा अध्यक्ष और प्रधानमंत्री के निर्वाचन को चुनौती नहीं दी जा सकती । |
बयालीसवाँ ( 1976 ) |
प्रस्तावना में पन्थनिरपेक्ष , समाजवादी और अखण्डता शब्द जोड़े गए । मौलिक कर्तव्यों का समावेश |
चवालीसवाँ ( 1978 ) |
सम्पत्ति के मौलिक अधिकार को समाप्त किया । सशस्त्र विद्रोह की स्थिति में और मन्त्रिमण्डल
की लिखित सलाह पर आपात की घोषणा राष्ट्रपति करेगा । |
अट्ठावनवाँ (1987) |
भारतीय संविधान का हिन्दी में प्राधिकृत रूप के लिए प्रावधान । |
इकसठवाँ ( 1989 ) |
मताधिकार की आयु 21 से घटाकर 18 वर्ष की गई । |
उनहत्तरवाँ ( 1991 ) |
दिल्ली का नाम राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र किया गया तथा विधानसभा की स्थापना की गई । |
सत्तरवाँ (1992) |
दिल्ली विधानसभा तथा पुदुचेरी विधान सभा को राष्ट्रपति के निर्वाचन में भाग लेने का अधिकार प्रदान किया गया । |
इकहत्तरवाँ ( 1992 ) |
आठवीं अनुसूची में कोंकणी , मणिपुरी और नेपाली भाषा को सम्मिलित किया गया । |
तिहत्तरवाँ ( 1992-93 ) |
पंचायती राज । |
चौहत्तरवाँ ( 1992 ) |
नगर पालिका व्यवस्था को संवैधानिक दर्जा दिया गया , संविधान में बारहवीं सूची जोड़ी गई । |
पिचासीवाँ ( 2002 ) |
सरकारी सेवाओं में अनुसूचित जाति / जनजाति के अभ्यर्थियों के लिए पदोन्नतियों में आरक्षण की व्यवस्था । |
छियासीवाँ ( 2002 ) |
राज्य द्वारा 6 से 14 साल तक के सभी बच्चों को निःशुल्क तथा अनिवार्य शिक्षा उपलब्ध कराने का प्रावधान । |
बयानवेवाँ ( 2003 ) |
संविधान की आठवीं अनुसूची में बोडो , डोगरी , मैथिली और संथाली भाषा का समावेश । |
तिरानवेवाँ ( 2006 ) |
निजी एवं बिना सरकारी अनुदान प्राप्त शिक्षण संस्थाओं में प्रवेश हेतु सामाजिक एवं शैक्षणिक रूप से पिछड़ों के लिए आरक्षण । |
चौरानवेवाँ ( 2006 ) |
अनुसूचित जनजातियों के कल्याण के लिए एक मन्त्री का प्रावधान मध्य प्रदेश एवं ओडिशा के साथ - साथ छत्तीसगढ़ एवं झारखण्ड में भी किया गया । |
पंचानवेवाँ ( 2010 ) |
अनुसूचित जाति / जनजाति के लिए आरक्षण की अवधि लोकसभा / राज्य की विधानसभा के लिए 60 वर्ष से बढ़ाकर 70 वर्ष ( 10 वर्ष के लिए ) । |
छियानवेवाँ ( 2011 ) |
" उड़िया ' भाषा को " ओड़िया ' ' में परिवर्तित किया गया । |
सत्तानवेवाँ ( 2012 ) |
अनुच्छेद 19 ( 1 ) ( C ) में
" सहकारी समितियाँ ' शब्द को जोड़ा गया। |
अठानवेवाँ ( 2012 ) |
हैदराबाद - कर्नाटक क्षेत्र को विकसित करने हेतु प्रभावी कदम उठाने के लिए कर्नाटक के राज्यपाल को सशक्त करना , कर्नाटक के राज्यपाल को विकसित करने के लिए । |
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