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Tuesday, September 8, 2020

भारतीय राजव्यवस्था (part 5), विधायिका, न्यायपालिका, राज्य कार्यपालिका

भारतीय राजव्यवस्था

 

भारतीय राजव्यवस्था (part 5), विधायिका, न्यायपालिका, राज्य कार्यपालिका

9. विधायिका

संसद

भारत की संसद राष्ट्रपति , राज्यसभा तथा लोकसभा से मिलकर बनी है। राज्यसभा को उच्च सदन कहा जाता है , जबकि लोकसभा को निम्न सदन।

राज्यसभा 

राज्यसभा या संसद का उच्च सदन , ( अनुच्छेद 80 ) राज्यों के प्रतिनिधियों से बनता है  

राज्यसभा के सदस्यों की अधिकतम संख्या 250 है वर्तमान में यह संख्या 245 है , जिनमें से 233 सदस्यों का चुनाव राज्यों से तथा शेष 12 सदस्य राष्ट्रपति द्वारा मनोनीत किए जाते हैं  

कला , साहित्य विज्ञान और समाज सेवा के क्षेत्र में विशेष योगदान देने वाले व्यक्तियों में से 12 व्यक्ति राज्यसभा के सदस्य के रूप में मनोनीत किए जाते हैं  

राज्यसभा के सदस्य 6 वर्ष की अवधि के लिए निर्वाचित किए जाते हैं

राज्यसभा एक स्थायी सदन है , लेकिन इसके दो तिहाई सदस्य हर दो वर्ष बाद सेवानिवृत्त हो जाते हैं  

प्रत्येक राज्य विधानमण्डल के निर्वाचित सदस्य अपने प्रतिनिधि आनुपातिक प्रतिनिधित्व के आधार पर एकल हस्तान्तरणीय मत के माध्यम से चुनते हैं

राज्यसभा में उत्तर प्रदेश की सबसे अधिक सीटें ( 31 ) हैं और महाराष्ट्र की दुसरी सर्वाधिक सीटें ( 19 ) हैं उत्तर - पूर्वी राज्यों ( असोम को छोड़कर ) पुदुचेरी , गोवा में प्रत्येक की एक - एक सीट है


 

संसदकी वित्तीय समितियाँ

 

 प्राक्कलन समिति इस समिति में लोकसभा के 30 सदस्य होते हैं  इसमें राज्यसभा के सदस्यों को शामिल नहीं किया जाता है , इसके सदस्यों का कार्यकाल 1 वर्ष का होता है 

 लोक लेखा समिति प्राक्कलन समिति की ' जुड़वाँ बहन ' के रूप में ज्ञात इस समिति में 22 सदस्य होते हैं , जिसमें 15 सदस्य लोकसभा द्वारा  7 सदस्य राज्यसभा द्वारा एक वर्ष के लिए निर्वाचित किए जाते हैं 

 लोक उपक्रम समिति इस समिति में 15 सदस्य होते हैं , जिनमें 10 लोकसभा तथा 5 राज्यसभा द्वारा आनुपातिक प्रतिनिधित्व की एकल संक्रमणीय मत पद्धति द्वारा निर्वाचित किए जाते हैं 

 

संचित निधि ( अनुच्छेद 266 )

संघ को प्राप्त सभी राजस्व एक निधि में जमा किए जाते हैं , जिसे भारत की संचित निधि कहा जाता है  संचित निधि से धन निकालने के लिए सक्षम विधान मण्डल विनियोग अधिनियम पारित करता है 

 

आकस्मिक निधि ( अनुच्छेद 267 )

भारतीय संविधान , संसद एवं राज्य विधानमण्डल को यथास्थिति , भारत या राज्य की आकस्मिकता निधि सृजित करने की शक्ति देता है 

 यह निधि 1950 में गठित की गई थी , जिसकी रकम का निर्धारण विधानमण्डल विनियमित करता है 

 जब तक विधानमण्डल अनुपूरक , अतिरिक्त या अधिक अनुदान द्वारा ऐसे व्यय को प्राधिकृत नहीं करता है , तब तक समय - समय पर अनपेक्षित व्यय करने के प्रयोजन के लिए कार्यपालिका की सलाह पर राष्ट्रपति इन निधियों में अग्रिम धन दे सकती है 


 

     

राज्यसभा सदस्य की योग्यताएँ 

• उम्मीदवार भारत का नागरिक होना चाहिए

• उसकी आयु 30 वर्ष होनी चाहिए  

• केन्द्र अथवा राज्य सरकार के द्वारा किसी लाभ के पद पर कार्यरत हो  

राज्यसभा की शक्तियाँ और कार्य 

• वैधानिक शक्तियों के विषय में राज्यसभा की शक्तियाँ लोकसभा की शक्तियों के समकक्ष ही हैं  

• कोई भी विधेयक तब तक कानून नहीं बन सकता जब तक कि राज्यसभा उसे पारित कर दे

किसी भी धन विधेयक को राज्यसभा में पेश नहीं किया जा सकता  

जब लोकसभा एक धन विधेयक को पारित कर देती है और इसे राज्यसभा में भेजा जाता है , तो राज्यसभा इस विधेयक को 14 दिनों के लिए रोककर रख सकती है यह विधेयक को रदद नहीं कर सकती  

केवल राज्यसभा को ही यह अधिकार प्राप्त है कि वह संविधान के अनुच्छेद 249 के अन्तर्गत राज्य सूची के किसी विषय को राष्ट्रीय महत्त्व का घोषित कर सके

लोकसभा 

लोकसभा संसद का प्रथम या निम्न सदन ( अनुच्छेद 81 ) है , जिसकी अध्यक्षता करने के लिए एक अध्यक्ष होता है  

संविधान में लोकसभा की अधिकतम सदस्य - संख्या 552 निर्धारित की गई है वर्तमान में लोकसभा की सदस्य संख्या 545 है इन सदस्यों में 530 सदस्य राज्यों से तथा 13 सदस्य केन्द्रशासित प्रदेशों से निर्वाचित होते हैं तथासदस्य आंग्ल - भारतीय वर्ग के प्रतिनिधि के रूप में राष्ट्रपति द्वारा मनोनीत होते हैं

अगस्त , 2001 में संसद द्वारा पारित 84 वें संविधान संशोधन विधेयक के अनुसार लोकसभा एवं विधानसभाओं की सीटों की संख्या वर्ष 2026 तक यथावत रखने का प्रावधान किया गया है  

लोकसभा के सदस्यों का चुनाव गुप्त मतदान के द्वारा वयस्क मताधिकार ( 18 वर्ष ) प्रणाली के आधार पर होता है

लोकसभा का अधिकतम कार्यकाल सामान्यतः 5 वर्ष का होता है लोकसभा एवं राज्यसभा के अधिवेशन राष्ट्रपति के द्वारा ही बुलाए और स्थगित किए जाते हैं लोकसभा की दो बैठकों में 6 माह से अधिक का अन्तर नहीं होना चाहिए  

संविधान के अनुच्छेद 108 में संसद के संयुक्त अधिवेशन की व्यवस्था है संयुक्त अधिवेशन राष्ट्रपति के द्वारा बुलाया जा सकता है धन विधेयक के सम्बन्ध में लोकसभा का निर्णय अन्तिम होता है इस सम्बन्ध में संयुक्त अधिवेशन की व्यवस्था नहीं है  

लोकसभा सदस्य की योग्यताएँ 

वह भारत का नागरिक हो  

उसकी आयु 25 वर्ष या इससे अधिक हो  

वह पागल तथा दिवालिया हो  

भारत सरकार अथवा किसी राज्य सरकार के अन्तर्गत वह किसी लाभ के पद पर नहीं हो

लोकसभा अध्यक्ष ( स्पीकर

लोकसभा के अध्यक्ष का चुनाव सदस्यों के बीच में से ही होता है इसे स्पीकर भी कहा जाता है  

वह अपनी शपथ एक सामान्य सदस्य के रूप में लेता है , अध्यक्ष के रूप में नहीं  

लोकसभा भंग होने के बाद भी स्पीकर अपने पद पर बना रहता है , जब तक नई निर्वाचित लोकसभा का पहला अधिवेशन हो जाए  

वह यह निर्णय करता है कि कोई विधेयक धन विधेयक है या नहीं और उसका निर्णय अन्तिम होता है  

स्पीकर पहली बार मतदान नहीं करता है गतिरोध को दूर करने के लिए अपने मत का प्रयोग कर सकता है

लोकसभा अध्यक्ष को कुल सदस्यों की संख्या के दो - तिहाई बहुमत द्वारा पद से हटाया जा सकता है  

देश के पहले लोकसभा अध्यक्ष जी वी मावलंकर  पहली महिला लोकसभा अध्यक्ष मीरा कुमार है  

वर्तमान में सुमित्रा महाजन लोकसभा अध्यक्ष तथा थाम्बी दुराई लोकसभा उपाध्यक्ष पद पर आसीन हैं

 

प्रोटेम स्पीकर

वे नवगठित लोकसभा के सबसे वरिष्ठ सदस्य होते हैं , जिन्हें राष्ट्रपति नई लोकसभा की बैठक की अध्यक्षता करने   , नए सदस्यों को शपथ दिलाने , अध्यक्ष पद निर्वाचन कासंचालन करने के लिए अस्थायी तौर पर नियुक्त करता है।


10. न्यायपालिका

सर्वोच्च न्यायालय

 में एक मुख्य न्यायाधीश और 30 अन्य न्यायाधीश होते हैं  

न्यायाधीशों की नियुक्तियाँ 

अनुच्छेद 124 में प्रावधान है कि राष्ट्रपति द्वारा सर्वोच्च न्यायालय के प्रत्येक न्यायाधीश की नियुक्ति , सर्वोच्च न्यायालय के न्यायाधीश और उच्च न्यायालय के ऐसे न्यायाधीशों के परामर्श द्वारा की जाएगी , जिनसे परामर्श करना राष्ट्रपति आवश्यक समझे

सर्वोच्च न्यायालय के न्यायाधीशों की अवकाश ग्रहण करने की अधिकतम अम्र सीमा 65 वर्ष है  

 • भारत के पहले मुख्य न्यायाधीश हीरालाल जे. कानिया थे

 • एच एस दत्तू वर्तमान में भारत के मुख्य न्यायाधीश हैं

योग्यताएँ 

एक  व्यक्ति को सर्वोच्च न्यायालय का न्यायाधीश नियुक्त किया जा सकता है ,यदि उसके पास निम्नलिखित योग्यताएँ हैं 

वह भारत का नागरिक हो 5  

वह कम - से - कम 5 वर्ष तक उच्च न्यायालय अथवा दो या दो से अधिक न्यायालयों का जज रह चुका हो या वह कम - से - कम 10 वर्ष तक उच्चतम न्यायालय में वकील या अधिवक्ता रह चुका हो या राष्ट्रपति की दृष्टि में विधि का विद्वान् हो  

न्यायाधीश को हटाया जाना 

सर्वोच्च न्यायालय के न्यायाधीशों को केवल राष्ट्रपति के अध्यादेश द्वारा बर्खास्त किया जा सकता है  

इसे संसद के प्रत्येक सदन के सम्बोधन के बाद पारित किया जाता है और इसे सदन के उपस्थित और मतदान करने वाले सदस्यों के दो - तिहाई बहुमत का समर्थन प्राप्त होना चाहिए

इसे दुर्व्यवहार या अक्षमता सिद्ध होने के आधार पर , इसी सत्र में , ऐसी बर्खास्तगी के  लिए राष्ट्रपति को पेश किया गया हो  

संसद को ये शक्तियाँ दी गई हैं कि वह एक सम्बोधन और एक न्यायाधीश के व्यवहार या अक्षमता की जाँच या साक्ष्यों के प्रस्तुतीकरण की प्रक्रिया को नियन्त्रित करे  

उच्च न्यायालय 

संविधान के अनुसार प्रत्येक राज्य के लिए एक उच्च न्यायालय होगा वर्तमान समय में भारत में 24 उच्च न्यायालय हैं मेघालय , मणिपुर एवं त्रिपुरा में वर्ष 2013 में उच्च न्यायालयों की शुरूआत की गयी है  

उच्च न्यायालय के न्यायाधीश की योग्यताएँ 

वह भारत का नागरिक हो कम - से - कम 10 वर्ष तक न्यायिक पद धारण कर चुका हो कम - से - कम 10 वर्ष तक उच्च न्यायालय का अधिवक्ता रहा हो  

उच्च न्यायालय के न्यायाधीशों की अवकाश ग्रहण करने की अधिकतम आयु सीमा 62 वर्ष है उच्च न्याया तय का न्यायाधीश अपने पद से , राष्ट्रपति को सम्बोधित कर कभी भी त्याग - पत्र दे सकता है

न्यायिक नियुक्ति आयोग 

120 वें संविधान संशोधन विधेयक द्वारा , उच्चतम तथा उच्च न्यायालयों के न्यायाधीशों ( मुख्य न्यायाधीश सहित ) की नियुक्ति तथा अन्तरण का प्रावधान है भारत के मुख्य न्यायाधीश , उच्चतम न्यायालय के दो वरिष्ठतम न्यायाधीश तथा भारत के कानून मन्त्री इसके सदस्य होंगे किन्हीं भी दो सदस्यों की असहमति होने पर नियुक्ति अथवा अन्तरण सम्भव नहीं होगा  

लोक अदालत 

कानूनी विवादों के मैत्रीपूर्ण समझौते के लिए लोक अदालत एक वैधानिक मंच है  

यह लोक उपयोगी सेवाओं के विवादों के सम्बन्ध में मुकदमेबाजी पूर्व सुलह एवं निर्धारण के लिए है , ताकि लोगों को शीघ्र न्याय मिल सके  

भारत में सर्वप्रथम महाराष्ट्र राज्य में लोक अदालतों का गठन किया गया  

प्रशासनिक अधिकरण 

यद्यपि मूल संविधान में प्रशासनिक अधिकरण का कोई उल्लेख नहीं किया गया था , परन्तु 42 वें संविधान संशोधन 1976 द्वारा अनुच्छेद 323 ' ' एवं 323 ' ' जोड़ा गया तथा प्रशासनिक अधिकरणों के गठन एवं उसके अधिकार क्षेत्र के सम्बन्ध में प्रावधान किया गया संसद द्वारा 1985 में प्रशासनिक अधिकरण अधिनियम पारित किया गया तथा 1 नवम्बर , 1985 को केन्द्रीय प्रशासनिक अधिकरण तथा विभिन्न राज्यों में प्रशासनिक अधिकरणों की स्थापना की गई , ताकि सरकारी कर्मचारियों को नौकरी से सम्बन्धित मामलों में शीघ्र तथा कम खर्चे में न्याय मिल सके

शपथ एवं त्याग - पत्र विधियाँ

पद

शपथ

त्याग - पत्र

राष्ट्रपति

मुख्य न्यायाधीश

उपराष्ट्रपति

उपराष्ट्रपति

राष्ट्रपति

राष्ट्रपति

राज्यपाल

सम्बद्ध राज्य के उच्च राष्ट्रपति न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश

राष्ट्रपति

मुख्य न्यायाधीश

राष्ट्रपति

राष्ट्रपति

प्रधानमन्त्री

राष्ट्रपति

राष्ट्रपति

 भारत का महान्यायवादी ( अनुच्छेद 76 ) 

महान्यायवादी , सरकार का प्रथम विधि अधिकारी होता है इसकी नियुक्ति राष्ट्रपति करता है तथा वह उसके प्रसादपर्यन्त पद धारण करता है  

भारत का महान्यायवादी संसद या मन्त्रिमण्डल का सदस्य नहीं होता है

महान्यायवादी बनने के लिए वही अर्हताएँ होनी चाहिए , जो उच्चतम न्यायालय के न्यायाधीश बनने के लिए होती हैं

मुकुल रोहतगी वर्तमान में भारत के महान्यायवादी हैं  

नियन्त्रक एवं महालेखा परीक्षक 

( अनुच्छेद 148 से 151 ) 

नियन्त्रक एवं महालेखा परीक्षक की नियुक्ति राष्ट्रपति करता है  

इसकी पदावधि पद ग्रहण करने की तिथि से 6 वर्ष तक होगी , लेकिन यदि इससे पूर्व 65 वर्ष की आयु प्राप्त कर लेता है , तो वह अवकाश ग्रहण कर लेता है  

सेवानिवृत्ति के पश्चात् वह भारत सरकार के अधीन कोई पद धारण नहीं कर सकता  

नियन्त्रक एवं महालेखा परीक्षक की नियुक्ति लोक धन के व्यय की निगरानी के लिए संसदीय प्रहरी ( Watch Dog ) के रूप में की जाती है  

शशिकान्त शर्मा वर्तमान में भारत के नियंत्रक एवं लेखा परीक्षक हैं


11. राज्य कार्यपालिका 

राज्यपाल 

राज्यपाल की नियुक्ति राष्ट्रपति के द्वारा की जाती है वह राज्य का मुख्य कार्यकारी अध्यक्ष होता है  

राज्यपाल नियुक्त होने के लिए वह 35 वर्ष की आयु पूर्ण कर चुका हो एवं भारत का नागरिक हो  

राज्यपाल के रूप में नियुक्त होने के लिए उसे उस राज्य का निवासी होना आवश्यक नहीं है  

वह राष्ट्रपति के प्रसादपर्यन्त कार्य करता है , जिसकी नियुक्ति 5 वर्ष की अवधि के लिए की जाती है  

राष्ट्रपति शासन के दौरान वह केन्द्र सरकार द्वारा नियुक्त परामर्शदाता की सहायता से सीधे तौर पर प्रशासन को चलाता है  

राज्यपाल की शक्तियाँ 

विधायी शक्तियाँ वह विधानमण्डल की बैठकों के लिए समय और स्थान को निश्चित करता है और उनका बुलावा भेजता है  

वह वर्ष में एक बार सत्र के आरम्भ में विधानमण्डल की बैठकों को सम्बोधित करता है  

विधानमण्डल द्वारा पारित किसी भी विधेयक पर उसकी स्वीकृति होनी आवश्यक है  

जब भी विधानमण्डल का अधिवेशन नहीं चल रहा होता है , तो उसे एक अध्यादेश को लागू करने की शक्ति . प्राप्त है

कार्यकारी शक्तियाँ वह मुख्यमन्त्री की नियुक्ति करता है और मुख्यमन्त्री की सलाह पर अन्य मन्त्रियों की नियुक्ति करता है  

वह राज्य लोक सेवा आयोग के अध्यक्ष और इसके सदस्यों की नियुक्ति करता है आपातकाल में वह केन्द्र के एजेण्ट के रूप में कार्य करता है  

वित्तीय शक्तियाँ राज्य की विधानसभा में कोई भी धन - विधेयक राज्यपाल की सिफारिश के बिना पेश नहीं किया जा सकता  


विवेकाधीन शक्तियाँ वह यह निर्णय करता है कि राज्य की सरकार को संविधान की व्यवस्था के अनुरूप चलाया जा सकता है या नहीं  

ऐसा नहीं पाए जाने पर वह अनुच्छेद 356 ( 1 ) के अन्तर्गत राष्ट्रपति को रिपोर्ट भेज सकता है  

मन्त्रिपरिषद् / मुख्यमन्त्री 

मुख्यमन्त्री को मन्त्रिपरिषद् मुखिया के रूप में मानते हुए संविधान , एक मन्त्रिपरिषद् की व्यवस्था करता है

राज्यपाल , मुख्यमन्त्री और उसके मन्त्रियों की नियुक्ति करता है सामान्यतः सभी मन्त्रियों को राज्य विधानमण्डल का सदस्य होना अनिवार्य है , परन्तु कभी - कभी एक गैर - सदस्य को भी मन्त्री नियुक्त किया जा सकता है उस स्थिति में वह राज्य विधानमण्डल का सदस्य रहे बिना 6 माह से अधिक अपने पद पर बना नहीं रह सकता मन्त्रिपरिषद् राज्य विधानसभा के प्रति सामूहिक रूप से उत्तरदायी है

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Creat By ASHUTOSH RANA

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