भारतीय राजव्यवस्था
9. विधायिका
संसद
भारत की संसद राष्ट्रपति , राज्यसभा तथा लोकसभा से मिलकर बनी है। राज्यसभा को उच्च सदन कहा जाता है , जबकि लोकसभा को निम्न सदन।
राज्यसभा
• राज्यसभा या संसद का उच्च सदन , ( अनुच्छेद 80 ) राज्यों के प्रतिनिधियों से बनता है ।
• राज्यसभा के सदस्यों की अधिकतम संख्या 250 है । वर्तमान में यह संख्या 245 है , जिनमें से 233 सदस्यों का चुनाव राज्यों से तथा शेष 12 सदस्य राष्ट्रपति द्वारा मनोनीत किए जाते हैं ।
• कला , साहित्य विज्ञान और समाज सेवा के क्षेत्र में विशेष योगदान देने वाले व्यक्तियों में से 12 व्यक्ति राज्यसभा के सदस्य के रूप में मनोनीत किए जाते हैं ।
• राज्यसभा के सदस्य 6 वर्ष की अवधि के लिए निर्वाचित किए जाते हैं .
• राज्यसभा एक स्थायी सदन है , लेकिन इसके दो तिहाई सदस्य हर दो वर्ष बाद सेवानिवृत्त हो जाते हैं ।
• प्रत्येक राज्य विधानमण्डल के निर्वाचित सदस्य अपने प्रतिनिधि आनुपातिक प्रतिनिधित्व के आधार पर एकल हस्तान्तरणीय मत के माध्यम से चुनते हैं ।
• राज्यसभा में उत्तर प्रदेश की सबसे अधिक सीटें ( 31 ) हैं और महाराष्ट्र की दुसरी सर्वाधिक सीटें ( 19 ) हैं । उत्तर - पूर्वी राज्यों ( असोम को छोड़कर ) पुदुचेरी , गोवा में प्रत्येक की एक - एक सीट है ।
संसदकी वित्तीय समितियाँ • प्राक्कलन समिति इस समिति में लोकसभा के 30 सदस्य होते हैं । इसमें राज्यसभा के सदस्यों को शामिल नहीं किया जाता है , इसके सदस्यों का कार्यकाल 1 वर्ष का होता है । • लोक लेखा समिति प्राक्कलन समिति की ' जुड़वाँ बहन ' के रूप में ज्ञात इस समिति में 22 सदस्य होते हैं , जिसमें 15 सदस्य लोकसभा द्वारा व 7 सदस्य राज्यसभा द्वारा एक वर्ष के लिए निर्वाचित किए जाते हैं । • लोक उपक्रम समिति इस समिति में 15 सदस्य होते हैं , जिनमें 10 लोकसभा तथा 5 राज्यसभा द्वारा आनुपातिक प्रतिनिधित्व की एकल संक्रमणीय मत पद्धति द्वारा निर्वाचित किए जाते हैं । संचित निधि ( अनुच्छेद 266 ) संघ को प्राप्त सभी राजस्व एक निधि में जमा किए जाते हैं , जिसे भारत की संचित निधि कहा जाता है । संचित निधि से धन निकालने के लिए सक्षम विधान मण्डल विनियोग अधिनियम पारित करता है । आकस्मिक निधि ( अनुच्छेद 267 ) •भारतीय संविधान , संसद एवं राज्य विधानमण्डल को यथास्थिति , भारत या राज्य की आकस्मिकता निधि सृजित करने की शक्ति देता है । • यह निधि 1950 में गठित की गई थी , जिसकी रकम का निर्धारण विधानमण्डल विनियमित करता है । • जब तक विधानमण्डल अनुपूरक , अतिरिक्त या अधिक अनुदान द्वारा ऐसे व्यय को प्राधिकृत नहीं करता है , तब तक समय - समय पर अनपेक्षित व्यय करने के प्रयोजन के लिए कार्यपालिका की सलाह पर राष्ट्रपति इन निधियों में अग्रिम धन दे सकती है । |
राज्यसभा सदस्य की योग्यताएँ
• उम्मीदवार भारत का नागरिक होना चाहिए ।
• उसकी आयु 30 वर्ष होनी चाहिए ।
• केन्द्र अथवा राज्य सरकार के द्वारा किसी लाभ के पद पर कार्यरत न हो ।
राज्यसभा
की शक्तियाँ
और कार्य
• वैधानिक शक्तियों के विषय में राज्यसभा की शक्तियाँ लोकसभा की शक्तियों के समकक्ष ही हैं ।
• कोई भी विधेयक तब तक कानून नहीं बन सकता जब तक कि राज्यसभा उसे पारित न कर दे ।
• किसी भी धन विधेयक को राज्यसभा में पेश नहीं किया जा सकता ।
• जब लोकसभा एक धन विधेयक को पारित कर देती है और इसे राज्यसभा में भेजा जाता है , तो राज्यसभा इस विधेयक को 14 दिनों के लिए रोककर रख सकती है । यह विधेयक को रदद नहीं कर सकती ।
• केवल राज्यसभा को ही यह अधिकार प्राप्त है कि वह संविधान के अनुच्छेद 249 के अन्तर्गत राज्य सूची के किसी विषय को राष्ट्रीय महत्त्व का घोषित कर सके ।
लोकसभा
• लोकसभा संसद का प्रथम या निम्न सदन ( अनुच्छेद 81 ) है , जिसकी अध्यक्षता करने के लिए एक अध्यक्ष होता है ।
संविधान में लोकसभा की अधिकतम सदस्य - संख्या 552 निर्धारित की गई है । वर्तमान में लोकसभा की सदस्य संख्या 545 है । इन सदस्यों में 530 सदस्य राज्यों से तथा 13 सदस्य केन्द्रशासित प्रदेशों से निर्वाचित होते हैं तथा 2 सदस्य आंग्ल - भारतीय वर्ग के प्रतिनिधि के रूप में राष्ट्रपति द्वारा मनोनीत होते हैं ।
• अगस्त , 2001 में संसद द्वारा पारित 84 वें संविधान संशोधन विधेयक के अनुसार लोकसभा एवं विधानसभाओं की सीटों की संख्या वर्ष 2026 तक यथावत रखने का प्रावधान किया गया है ।
• लोकसभा के सदस्यों का चुनाव गुप्त मतदान के द्वारा वयस्क मताधिकार ( 18 वर्ष ) प्रणाली के आधार पर होता है ।
• लोकसभा का अधिकतम कार्यकाल सामान्यतः 5 वर्ष का होता है । लोकसभा एवं राज्यसभा के अधिवेशन राष्ट्रपति के द्वारा ही बुलाए और स्थगित किए जाते हैं । लोकसभा की दो बैठकों में 6 माह से अधिक का अन्तर नहीं होना चाहिए ।
• संविधान के अनुच्छेद 108 में संसद के संयुक्त अधिवेशन की व्यवस्था है । संयुक्त अधिवेशन राष्ट्रपति के द्वारा बुलाया जा सकता है । धन विधेयक के सम्बन्ध में लोकसभा का निर्णय अन्तिम होता है । इस सम्बन्ध में संयुक्त अधिवेशन की व्यवस्था नहीं है ।
लोकसभा
सदस्य की योग्यताएँ
• वह भारत का नागरिक हो ।
• उसकी आयु 25 वर्ष या इससे अधिक हो ।
• वह पागल तथा दिवालिया न हो ।
• भारत सरकार अथवा किसी राज्य सरकार के अन्तर्गत वह किसी लाभ के पद पर नहीं हो ।
लोकसभा अध्यक्ष ( स्पीकर )
• लोकसभा के अध्यक्ष का चुनाव सदस्यों के बीच में से ही होता है । इसे स्पीकर भी कहा जाता है ।
• वह अपनी शपथ एक सामान्य सदस्य के रूप में लेता है , अध्यक्ष के रूप में नहीं ।
• लोकसभा भंग होने के बाद भी स्पीकर अपने पद पर बना रहता है , जब तक नई निर्वाचित लोकसभा का पहला अधिवेशन न हो जाए ।
• वह यह निर्णय करता है कि कोई विधेयक धन विधेयक है या नहीं और उसका निर्णय अन्तिम होता है ।
• स्पीकर पहली बार मतदान नहीं करता है । गतिरोध को दूर करने के लिए अपने मत का प्रयोग कर सकता है ।
• लोकसभा अध्यक्ष को कुल सदस्यों की संख्या के दो - तिहाई बहुमत द्वारा पद से हटाया जा सकता है ।
• देश के पहले लोकसभा अध्यक्ष जी वी मावलंकर व पहली महिला लोकसभा अध्यक्ष मीरा कुमार है ।
• वर्तमान में सुमित्रा महाजन लोकसभा अध्यक्ष तथा थाम्बी दुराई लोकसभा उपाध्यक्ष पद पर आसीन हैं ।
प्रोटेम स्पीकर वे नवगठित लोकसभा के सबसे वरिष्ठ सदस्य होते हैं , जिन्हें राष्ट्रपति नई लोकसभा की बैठक की अध्यक्षता करने
, नए सदस्यों को शपथ दिलाने , अध्यक्ष पद निर्वाचन कासंचालन करने के लिए अस्थायी तौर पर नियुक्त करता है। |
10. न्यायपालिका
सर्वोच्च न्यायालय
में एक मुख्य न्यायाधीश और 30 अन्य न्यायाधीश होते हैं ।
न्यायाधीशों
की नियुक्तियाँ
• अनुच्छेद 124 में प्रावधान है कि राष्ट्रपति द्वारा सर्वोच्च न्यायालय के प्रत्येक न्यायाधीश की नियुक्ति , सर्वोच्च न्यायालय के न्यायाधीश और उच्च न्यायालय के ऐसे न्यायाधीशों के परामर्श द्वारा की जाएगी , जिनसे परामर्श करना राष्ट्रपति आवश्यक समझे ।
• सर्वोच्च न्यायालय के न्यायाधीशों की अवकाश ग्रहण करने की अधिकतम अम्र सीमा 65 वर्ष है ।
• भारत के पहले मुख्य न्यायाधीश हीरालाल
जे. कानिया थे ।
• एच एस दत्तू वर्तमान में भारत के मुख्य न्यायाधीश हैं ।
योग्यताएँ
एक व्यक्ति
को सर्वोच्च
न्यायालय का न्यायाधीश नियुक्त किया जा सकता है ,यदि उसके पास निम्नलिखित योग्यताएँ हैं
• वह भारत का नागरिक हो । 5
• वह कम - से - कम 5 वर्ष तक उच्च न्यायालय अथवा दो या दो से अधिक न्यायालयों का जज रह चुका हो या वह कम - से - कम 10 वर्ष तक उच्चतम न्यायालय में वकील या अधिवक्ता रह चुका हो या राष्ट्रपति की दृष्टि में विधि का विद्वान् हो ।
न्यायाधीश
को हटाया जाना
•सर्वोच्च न्यायालय के न्यायाधीशों को केवल राष्ट्रपति के अध्यादेश द्वारा बर्खास्त किया जा सकता है ।
• इसे संसद के प्रत्येक सदन के सम्बोधन के बाद पारित किया जाता है और इसे सदन के उपस्थित और मतदान करने वाले सदस्यों के दो - तिहाई बहुमत का समर्थन प्राप्त होना चाहिए ।
• इसे दुर्व्यवहार या अक्षमता सिद्ध होने के आधार पर , इसी सत्र में , ऐसी बर्खास्तगी के लिए राष्ट्रपति को पेश किया गया हो ।
• संसद को ये शक्तियाँ दी गई हैं कि वह एक सम्बोधन और एक न्यायाधीश के व्यवहार या अक्षमता की जाँच या साक्ष्यों के प्रस्तुतीकरण की प्रक्रिया को नियन्त्रित करे ।
उच्च न्यायालय
संविधान के अनुसार प्रत्येक राज्य के लिए एक उच्च न्यायालय होगा । वर्तमान समय में भारत में 24 उच्च न्यायालय हैं । मेघालय , मणिपुर एवं त्रिपुरा में वर्ष 2013 में उच्च न्यायालयों की शुरूआत की गयी है ।
उच्च न्यायालय के न्यायाधीश
की योग्यताएँ
• वह भारत का नागरिक हो । कम - से - कम 10 वर्ष तक न्यायिक पद धारण कर चुका हो । कम - से - कम 10 वर्ष तक उच्च न्यायालय का अधिवक्ता रहा हो ।
• उच्च न्यायालय के न्यायाधीशों की अवकाश ग्रहण करने की अधिकतम आयु सीमा 62 वर्ष है । उच्च न्याया तय का न्यायाधीश अपने पद से , राष्ट्रपति को सम्बोधित कर कभी भी त्याग - पत्र दे सकता है ।
न्यायिक
नियुक्ति आयोग
120 वें संविधान संशोधन विधेयक द्वारा , उच्चतम तथा उच्च न्यायालयों के न्यायाधीशों ( मुख्य न्यायाधीश सहित ) की नियुक्ति तथा अन्तरण का प्रावधान है । भारत के मुख्य न्यायाधीश , उच्चतम न्यायालय के दो वरिष्ठतम न्यायाधीश तथा भारत के कानून मन्त्री इसके सदस्य होंगे । किन्हीं भी दो सदस्यों की असहमति होने पर नियुक्ति अथवा अन्तरण सम्भव नहीं होगा ।
लोक अदालत
• कानूनी विवादों के मैत्रीपूर्ण समझौते के लिए लोक अदालत एक वैधानिक मंच है ।
• यह लोक उपयोगी सेवाओं के विवादों के सम्बन्ध में मुकदमेबाजी पूर्व सुलह एवं निर्धारण के लिए है , ताकि लोगों को शीघ्र न्याय मिल सके ।
• भारत में सर्वप्रथम महाराष्ट्र राज्य में लोक अदालतों का गठन किया गया ।
प्रशासनिक
अधिकरण
यद्यपि मूल संविधान में प्रशासनिक अधिकरण का कोई उल्लेख नहीं किया गया था , परन्तु 42 वें संविधान संशोधन 1976 द्वारा अनुच्छेद 323 ' क ' एवं 323 ' ख ' जोड़ा गया तथा प्रशासनिक अधिकरणों के गठन एवं उसके अधिकार क्षेत्र के सम्बन्ध में प्रावधान किया गया । संसद द्वारा 1985 में प्रशासनिक अधिकरण अधिनियम पारित किया गया तथा 1 नवम्बर , 1985 को केन्द्रीय प्रशासनिक अधिकरण तथा विभिन्न राज्यों में प्रशासनिक अधिकरणों की स्थापना की गई , ताकि सरकारी कर्मचारियों को नौकरी से सम्बन्धित मामलों में शीघ्र तथा कम खर्चे में न्याय मिल सके ।
शपथ एवं त्याग - पत्र विधियाँ
पद |
शपथ |
त्याग - पत्र |
राष्ट्रपति |
मुख्य न्यायाधीश |
उपराष्ट्रपति |
उपराष्ट्रपति |
राष्ट्रपति |
राष्ट्रपति |
राज्यपाल |
सम्बद्ध राज्य के उच्च राष्ट्रपति न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश |
राष्ट्रपति |
मुख्य न्यायाधीश |
राष्ट्रपति |
राष्ट्रपति |
प्रधानमन्त्री |
राष्ट्रपति |
राष्ट्रपति |
भारत का महान्यायवादी ( अनुच्छेद 76 )
• महान्यायवादी , सरकार का प्रथम विधि अधिकारी होता है इसकी नियुक्ति राष्ट्रपति करता है तथा वह उसके प्रसादपर्यन्त पद धारण करता है ।
• भारत का महान्यायवादी संसद या मन्त्रिमण्डल का सदस्य नहीं होता है ।
• महान्यायवादी बनने के लिए वही अर्हताएँ होनी चाहिए , जो उच्चतम न्यायालय के न्यायाधीश बनने के लिए होती हैं ।
• मुकुल रोहतगी वर्तमान में भारत के महान्यायवादी हैं ।
नियन्त्रक
एवं महालेखा
परीक्षक
( अनुच्छेद 148 से 151 )
• नियन्त्रक एवं महालेखा परीक्षक की नियुक्ति राष्ट्रपति करता है ।
• इसकी पदावधि पद ग्रहण करने की तिथि से 6 वर्ष तक होगी , लेकिन यदि इससे पूर्व 65 वर्ष की आयु प्राप्त कर लेता है , तो वह अवकाश ग्रहण कर लेता है ।
• सेवानिवृत्ति के पश्चात् वह भारत सरकार के अधीन कोई पद धारण नहीं कर सकता ।
• नियन्त्रक एवं महालेखा परीक्षक की नियुक्ति लोक धन के व्यय की निगरानी के लिए संसदीय
प्रहरी ( Watch Dog ) के रूप में की जाती है ।
• शशिकान्त शर्मा वर्तमान में भारत के नियंत्रक एवं लेखा परीक्षक हैं ।
11. राज्य कार्यपालिका
राज्यपाल
• राज्यपाल की नियुक्ति राष्ट्रपति के द्वारा की जाती है । वह राज्य का मुख्य कार्यकारी अध्यक्ष होता है ।
• राज्यपाल नियुक्त होने के लिए वह 35 वर्ष की आयु पूर्ण कर चुका हो एवं भारत का नागरिक हो ।
• राज्यपाल के रूप में नियुक्त होने के लिए उसे उस राज्य का निवासी होना आवश्यक नहीं है ।
• वह राष्ट्रपति के प्रसादपर्यन्त कार्य करता है , जिसकी नियुक्ति 5 वर्ष की अवधि के लिए की जाती है ।
राष्ट्रपति शासन के दौरान वह केन्द्र सरकार द्वारा नियुक्त परामर्शदाता की सहायता से सीधे तौर पर प्रशासन को चलाता है ।
राज्यपाल
की शक्तियाँ
विधायी शक्तियाँ वह विधानमण्डल की बैठकों के लिए समय और स्थान को निश्चित करता है और उनका बुलावा भेजता है ।
• वह वर्ष में एक बार सत्र के आरम्भ में विधानमण्डल की बैठकों को सम्बोधित करता है ।
• विधानमण्डल द्वारा पारित किसी भी विधेयक पर उसकी स्वीकृति होनी आवश्यक है ।
• जब भी विधानमण्डल का अधिवेशन नहीं चल रहा होता है , तो उसे एक अध्यादेश को लागू करने की शक्ति . प्राप्त है ।
कार्यकारी शक्तियाँ वह मुख्यमन्त्री की नियुक्ति करता है और मुख्यमन्त्री की सलाह पर अन्य मन्त्रियों की नियुक्ति करता है ।
• वह राज्य लोक सेवा आयोग के अध्यक्ष और इसके सदस्यों की नियुक्ति करता है । आपातकाल में वह केन्द्र के एजेण्ट के रूप में कार्य करता है ।
वित्तीय शक्तियाँ राज्य की विधानसभा में कोई भी धन - विधेयक राज्यपाल की सिफारिश के बिना पेश नहीं किया जा सकता ।
विवेकाधीन शक्तियाँ वह यह निर्णय करता है कि राज्य की सरकार को संविधान की व्यवस्था के अनुरूप चलाया जा सकता है या नहीं ।
• ऐसा नहीं पाए जाने पर वह अनुच्छेद 356 ( 1 ) के अन्तर्गत राष्ट्रपति को रिपोर्ट भेज सकता है ।
मन्त्रिपरिषद् / मुख्यमन्त्री
• मुख्यमन्त्री को मन्त्रिपरिषद्
मुखिया के रूप में मानते हुए संविधान , एक मन्त्रिपरिषद् की व्यवस्था करता है ।
• राज्यपाल , मुख्यमन्त्री और उसके मन्त्रियों की नियुक्ति करता है । सामान्यतः सभी मन्त्रियों को राज्य विधानमण्डल का सदस्य होना अनिवार्य है , परन्तु कभी - कभी एक गैर - सदस्य को भी मन्त्री नियुक्त किया जा सकता है । उस स्थिति में वह राज्य विधानमण्डल का सदस्य रहे बिना 6 माह से अधिक अपने पद पर बना नहीं रह सकता । मन्त्रिपरिषद् राज्य विधानसभा के प्रति सामूहिक रूप से उत्तरदायी है ।
DOWNLOAD PDF NOW
No comments:
Post a Comment