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Wednesday, September 2, 2020

भारतीय राजव्यवस्था (part 3), राज्य के नीति - निदेशक सिद्धान्त

भारतीय राजव्यवस्था



6. राज्य के नीति - निदेशक सिद्धान्त

 भाग 4 ( अनुच्छेद 36 से 51 ) में राज्य के नीति - निदेशक सिद्धान्तों का प्रावधान किया गया है , जिससे यह सुनिश्चित किया जा सके कि राज्यों में उचित और समान सामाजिक - आर्थिक व्यवस्था ( एक कल्याणकारी राज्य ) स्थापित है ।

अनुच्छेद 36 सामाजिक व्यवस्था की सुरक्षा और बचाव ।

अनुच्छेद 37 न्यायालय द्वारा प्रवर्तनीय नहीं है , किन्तु इन्हें  लागू करना राज्य का कर्त्तव्य । 

अनुच्छेद 38 सामाजिक , आर्थिक और राजनीतिक न्याय व्यवस्था ।

अनुच्छेद 39 समान न्याय , सभी नागरिकों के लिए आजीविका के पर्याप्त साधन उपलब्ध कराना और स्त्री तथा पुरुषों के लिए समान काम के लिए समान वेतन सुनिश्चित करना तथा धन का समान वितरण ।

अनुच्छेद 40 स्थानीय स्वशासन की इकाई के रूप में ग्राम पंचायतों का गठन । 

अनुच्छेद 41 लोगों के लिए बेरोजगारी , वृद्धावस्था और रुग्णावस्था आदि की स्थिति में कार्य करने के अवसर , मजदूरी और जन - सहायता । 

अनुच्छेद 42 कार्य करने की मानवीय दशाएँ और प्रसूति दौरान आराम । 

अनुच्छेद 43 आजीविका , मजदूरी और जीवन के एक बेहतर स्तर का समर्थन तथा उद्योगों के प्रबन्धन में मजदूरों के हिस्सा लेने के अधिकार का भी समर्थन । 

अनुच्छेद 44 नागरिकों के लिए एकसमान नागरिक संहिता ( सिविल कोड ) । 

अनुच्छेद 45 निःशुल्क और अनिवार्य प्राथमिक शिक्षा प्रदान करने का समर्थन । 

अनुच्छेद 46 कमजोर वर्गों के शैक्षिक और आर्थिक कल्याण को बढ़ावा देना और उन्हें सामाजिक अन्याय से बचाना । 

अनुच्छेद 47 जन - स्वास्थ्य में सुधार लाने के लिए पोषक आहार के स्तर में और जीवन स्तर में वृद्धि करने का प्रयास । 

अनुच्छेद 48 कृषि और पशुपालन में आधुनिक विधियों की व्यवस्था ।

अनुच्छेद 48 ( क ) पर्यावरण का संरक्षण तथा संवर्द्धन और वन एवं वन्य जीवों की रक्षा । 

अनुच्छेद 49 ऐतिहासिक रुचि और राष्ट्रीय महत्त्व के सभी स्मारकों को सुरक्षित रखना । 

अनुच्छेद 50 कार्यपालिका से न्यायपालिका का पृथक्करण ।

अनुच्छेद 51 अन्तर्राष्ट्रीय शान्ति और सुरक्षा की अभिवृद्धि 


7. मौलिक कर्त्तव्य

सरदार स्वर्ण सिंह समिति की अनुशंसा पर मौलिक कर्तव्यों को वर्ष 1976 में 42 वें संविधान संशोधन द्वारा किया गया । ये न्यायालय के माध्यम से कराए जा सकते , किन्तु संविधान के निर्वचन में अनुच्छेद 51 ( क ) के अन्तर्गत संविधान में समाविष्ट , प्रवृत्त तो नहीं दिशादर्शन के रूप से महत्त्वपूर्ण हैं । वर्तमान में मौलिक कर्तव्यों की संख्या 11 है , ये निम्न हैं 

1. प्रत्येक नागरिक का यह कर्त्तव्य होगा कि वह संविधान का पालन करे और उसके आदर्शों , संस्थाओं , राष्ट्रध्वज और राष्ट्रगान का आदर करे । 

2. स्वतन्त्रता के लिए हमारे राष्ट्रीय आन्दोलन को प्रेरित करने वाले उच्च आदर्शों को हृदय में संजोए रखे और उनका पालन करे । 

3. भारत की प्रभुता , एकता और अखण्डता की रक्षा करे और उसे अक्षुण्ण रखे । 

4. देश की रक्षा करे । 

5. भारत के सभी लोगों में समरसता और समान भ्रातृत्व की भावना का निर्माण करे । 

6. हमारी सामाजिक संस्कृति की गौरवशाली परम्परा का महत्त्व समझे और उसका परीक्षण करे । 

7. प्राकृतिक पर्यावरण की रक्षा और संवर्धन करे । 

8. वैज्ञानिक दृष्टिकोण और ज्ञानार्जन की भावना का विकास करे । 

9. व्यक्तिगत एवं सामूहिक गतिविधियों के सभी राम क्षेत्रों में उत्कर्ष की ओर बढ़ने का सतत् प्रयास मत करे । 

10. सार्वजनिक सम्पत्ति को सुरक्षित रखे ।

11. माता - पिता या संरक्षक द्वारा 6 से 14 वर्ष के बच्चों हेतु निःशुल्क शिक्षा प्रदान करना ( 86 वाँ काय संविधान संशोधन 2002 ) ।


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